Category: Hindi

  • अब मुलाकात नहीं होती…

    अब मुलाकात नहीं होती…

    हा, मै मिला हूं उससे,
    बिल्कुल आप जैसा सोच रहे है वैसा ही था।
    पूरा पागल,
    अपने ही धुन में खोया हुआ।
    पहली बार जब उससे मुलाक़ात हुई तो मै तो सेहम सा गया था।
    शायद तुम होते तो तुम भी यही कहते।
    बिखरे लंबे बाल, ये बड़ी दाढ़ी। कोई बूढ़ा पागल नहीं था। बदन पूरा कसरती था। उम्र, वही कुछ ३० या ३५ के करीब। बदन पे एक मैला कुर्ता और कंधे पे एक झोला लिए वो चल पड़ता था।

    पर एक अजीब सा अपनापन भी मेहसुस होता है जब मैं सोचता हुं उस के बारें में।
    उसे प्यार था उन पेड़ों से, जानवरों से, नदी से, पहाड़ से। उस हर एक चीज से जिसमें उसे प्रकृति की छबि नजर आती थी।
    उन की देखभाल में खाना पीना सब भूल जाता था। उसका एक सपना था, कभी जिंदगी में खुदका एक जंगल होगा। जहा एक तालाब के किनारे किसी पेड़ पर एक ट्री हाउस बना के वो उसमे रहे।

    पर काफी दिन हो गए उससे मुलाकात नहीं हुई। उसके रोज के ठिकानों पे भी आज कल वो कही दिखाई नही देता। गायब होने से पहले उसने बताया था के वो किसी नई कोयले के खदान के बारे में सुन कर कितना परेशान है। कभी मिले तो उसे जरूर बताउंगा की घर का एसी अब अच्छा चल रहा है। शुक्र है, नया कोल पावर प्लांट शुरू हो गया है।


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  • मन आज़ाद है…

    मन आज़ाद है…

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    Sunset colors, Photo by Aditya

    मन आज़ाद है।
    भलेही पैरोमें पड़ी है बेड़ी, वास्तविकता की,
    फिरभी वह आज़ाद है।

     

    अपने आपको सूक्ष्म करके, खिसक जाता है,
    इस जालीदार पिंजरेसे,
    ऊंचा उड़ता है, किसी बाज़की तरह।
    अपनी पैनी तीखी नजरे नीचे जमींके हालतपर जमाए हुए घूमता रहता है।

    कभी अचानकसे एक मंझे हुए गोताखोरकी तरह झपट्टा मारता है, और फिर उड़ जाता है अपनी शिकार को पैरोंमें फसाए हुए।
    कभी यह शिकार होती है किसी हदसेकि जो कोई कहानी बनके उतर आती है कागज़पे,
    तो कभी कोई बेचैनी पकड़ी जाती है उन मजबूत पैरोंतले जिसका दर्द कोई कविता का रूप ले लेता है।

    जब सांझ होती है और आसमान हल्का गुलाबी, केसरिया हो जाता है, तो बाज़ लौट आता है।
    इसी जालीके पिंजरेसे होते हुए जब अंदर आता है,
    तब वहां, सिर्फ एक मानवी शरीर मिलता है, भावनाओसे सराबोर…

  • बुढ़ापा

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    Photo by Saad Ahmed

    हर रोज़ सुबह जब मैं मेरे कमरेकी खिड़की खोलता हूँ,
    तो यही एक सवाल हमेशा होता है।
    के ये कौन है जो एक आंखसे हमेशा मुझको तांकते है।
    जिनका कश्मीरी गोरा रंग अब इन झुरनियोसे सजा हुआ है,
    एक अजिबसा wisdom झलकता है उस चेहरेपे।
    ये एक आँख बंद क्यों है और…
    और दूसरी उनींदी, मानो कबसे सोयेही न हो।
    शायद बुढ़ापा अब सोनेभी नही देता होगा।
    एक अरसा वो भी हुआ होगा,
    जब इन्ही दो आँखोने न जाने क्या क्या दुनिया देखी होगी।
    भरापूरा परिवार देखा होगा, खिला हुवा घर देखा होगा।
    वो चूल्हा देखा होगा, जहा मेहनतसे कमाई हुई रोटी पकती होगी।
    आँखोंमें ढेर सारा प्यार लेके उस चौखटपर खड़ी नवेली दुल्हन को देख होगा।
    उनके गृहस्थीके वसन्त, वर्ष और कभी कभी झुलसाते ग्रीष्म भी देखे होंगे।
    अपनी जगह से बड़ी संतुष्टिसे देखा होगा, जब नन्हे कदमोंसे खुशियाँ आयी थी।
    उन नन्हे कदमोंको अपने आंखोंके सामने बड़ा होतेभी देखा होंगा।
    पर तब ये आंखे कहा जानती थी के जो कदम बड़े हो रहे है,
    वो एक दिन बाहरकी और दौड़ेंगे, वापस न लौटनेके लिए।
    शायद, हा शायद तबसेही, ये एक आंख बंद है, और एक उनींदी….


    I had written this poem for a prompt of the week of Baithak and beyond. But uncertain weather got better of us and the session got postponed. So here’s the poem for you guys…

    Have fun. Stay blessed…

     

     

  • सड़कके किनारे…

    मई की भरी दोपहर में,
    जब चलता हु उन तपती मैली सड़कोपर,
    मनमे ख़याल आता है,
    कई हस्तियाँ चली होंगी, उम्र से लम्बी इन सड़कोपर..

    कई सपने चूर होक बिखरे होंगे,
    इसकी धुंदलीसी गलियोंके हर मोड़ पर,
    किसीने उम्मिदकी किरणका हात थामे,
    यहिंसे मंझिलकी ओर कदम बढाया होगा.

    किसी मजनूने हसी राज बांटे होगे,
    इसी नुक्कड़पे अपने दोस्तोंसे,
    तो कही दूर, सड़कके किनारे, धुल महकी होगी,
    टपके हुए टूटे दिलके आंसूओंसे.

    इन्ही गुजरी जिंदगियोंको छूता हुवा,
    मै चल रहा हु, मई की भरी दोपहर में,
    अपनी मंझिलकी ओर,
    मेरे ज़िन्दगीके चंद लम्हें छोडकर इसी सड़कके किनारे…


    Here’s recording of my recitation for you guys… Hope you all will enjoy…

     


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  • मुख़्तसरसी बात है…

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    मुख़्तसरसी बात है,
    तू जो सूनले तो मैं केह दु।

    तेरी होठोंकी लालिसे,
    और आँखोंकी गहराईपे,
    ना कोई नझ्म लिख दु,
    मुख़्तसरसी बात है…

    चंद लम्होकी मुलाक़ाते,
    बाकी बेचैन तनहाईकी
    कोई गझल ना केह दु.
    मुख़्तसरसी बात है…

    तेरे आतेही बढ़ी धडकने
    और सांस रुक गयी तो,
    उसे रुबाई न बना दु,
    मुख़्तसरसी बात है…

    घुमाकर न अब करते हैं बात,
    इश्क़का इजहार अब,
    तू जो कहदे तो मै कर दू।
    मुख़्तसरसी बात है,
    तू जो सूनले तो मैं केह दु।


    #LatePost Sorry guys, I missed the Monday post. Uploading this today.

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  • लगन

    है अगर दिलमे कोई लगन अपने,
    उठ खड़ा हो, कर पुरे सारे सपने.
    हो हिम्मत अगर जिगरमे तेरी,
    भर तू ताकत अपने पंखोमे पूरी.
    नहीं चलना है तुम्हे इस जमींपे
    लेहेराना है परचम अपना गगनपे…