A Hindi poem about an old home which is dilapidated. #poetrylove
हर रोज़ सुबह जब मैं मेरे कमरेकी खिड़की खोलता हूँ,
तो यही एक सवाल हमेशा होता है।
के ये कौन है जो एक आंखसे हमेशा मुझको तांकते है।
A Hindi poem about an old home which is dilapidated. #poetrylove
हर रोज़ सुबह जब मैं मेरे कमरेकी खिड़की खोलता हूँ,
तो यही एक सवाल हमेशा होता है।
के ये कौन है जो एक आंखसे हमेशा मुझको तांकते है।
मई की भरी दोपहर में, जब चलता हु उन तपती मैली सड़कोपर, मनमे ख़याल आता है, कई हस्तियाँ चली होंगी, उम्र से लम्बी इन सड़कोपर..
मुख़्तसरसी बात है,
तू जो सूनले तो मैं केह दु।
तेरी होठोंकी लालिसे,
और आँखोंकी गहराईपे,
ना कोई नझ्म लिख दु,
मुख़्तसरसी बात है…
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है अगर दिलमे कोई लगन अपने, उठ खड़ा हो, कर पुरे सारे सपने. हो हिम्मत अगर जिगरमे तेरी, भर तू ताकत अपने पंखोमे पूरी. नहीं
दिलसे निकली ये जो बात होठोमे दबी रही. वो जो आए इस कदर के ये जान रुकी रही. उन झुल्फोके बिखर्ते घटा काली छा गई
ये प्यार ही है जो दिलमे बसा रहता है, जो हर पल हमें झिंदा रखता है. क्या फर्क है जो करो इन्सानसे या उपरवालेसे…