Adi's Journal

Pieces of my thourhgs

अब मुलाकात नहीं होती…

हा, मै मिला हूं उससे,
बिल्कुल आप जैसा सोच रहे है वैसा ही था।
पूरा पागल,
अपने ही धुन में खोया हुआ।
पहली बार जब उससे मुलाक़ात हुई तो मै तो सेहम सा गया था।
शायद तुम होते तो तुम भी यही कहते।
बिखरे लंबे बाल, ये बड़ी दाढ़ी। कोई बूढ़ा पागल नहीं था। बदन पूरा कसरती था। उम्र, वही कुछ ३० या ३५ के करीब। बदन पे एक मैला कुर्ता और कंधे पे एक झोला लिए वो चल पड़ता था।

पर एक अजीब सा अपनापन भी मेहसुस होता है जब मैं सोचता हुं उस के बारें में।
उसे प्यार था उन पेड़ों से, जानवरों से, नदी से, पहाड़ से। उस हर एक चीज से जिसमें उसे प्रकृति की छबि नजर आती थी।
उन की देखभाल में खाना पीना सब भूल जाता था। उसका एक सपना था, कभी जिंदगी में खुदका एक जंगल होगा। जहा एक तालाब के किनारे किसी पेड़ पर एक ट्री हाउस बना के वो उसमे रहे।

पर काफी दिन हो गए उससे मुलाकात नहीं हुई। उसके रोज के ठिकानों पे भी आज कल वो कही दिखाई नही देता। गायब होने से पहले उसने बताया था के वो किसी नई कोयले के खदान के बारे में सुन कर कितना परेशान है। कभी मिले तो उसे जरूर बताउंगा की घर का एसी अब अच्छा चल रहा है। शुक्र है, नया कोल पावर प्लांट शुरू हो गया है।


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18 thoughts on “अब मुलाकात नहीं होती…

  1. Am reading a post in hindi after a very long time after school and occasionally helping my son study… Felt nice, need to do more of this and appreciate the language and your wonderful short capsules of knowledge and information shared 🙏🏻

  2. बहुत सुंदर कविता. कितने बड़े मुद्दे को कितने साधारण तरीके से छुआ. बहुत खूब. लिखते रहें , यूँ ही आप की कलम में शक्ति रहे.

    1. बहोत बहोत धन्यवाद! आप के इस कॉमेंट से काफी प्रोत्साहन मिला है।

  3. बहुत ही सुंदर लिखा है आपने!
    सब से बड़ी बात कि हिन्दी को हिन्दी में ही लिखा है अन्यथा एक समझ तो आ जाता है मगर connection नहीं बन पाता.

    1. शुक्रिया मीनल जी। जरूर कोशिश करेंगे हिंदी में ज्यादा लिखने की।

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