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Tag: Love
मुख़्तसरसी बात है…
मुख़्तसरसी बात है, तू जो सूनले तो मैं केह दु। तेरी होठोंकी लालिसे, और आँखोंकी गहराईपे, ना कोई नझ्म लिख दु, मुख़्तसरसी बात है… [Read more]
आस
लागली ग आज पहा, धार पाऊस संतत, तुला जमेना यायला, हीच मनी आहे खंत… [ Read more on https://adisjournal.com/aas/ ]
श्रावण
My new poem about gorgeous lover drenched in the showers of Shravan; the 5th month of Hindu calendar.
बारीश और तुम #३
धुँवाधार बारिश है ये, थमने का कुछ नाम नही, पहाडोसे बिछड़नेपर, शायद फुटके रो रही। हम तुम भी तो बिछड़े है, महीनोसे ना मिल पाए, इन बरसते बादलसीही, क्या तुमभी बेहाल हो? जब हवा बादल उड़ा लाई, तबसे ये है जान गए, मुलाकात अब पहाड़की, अगले साल ही नसीब है। ये कंबख्त नौकरी जब, दूरी हममें डालती है, आहे…
बारीश और तुम #२
कल रातकी बारिश कुछ बूंदे छोड गयी है, वहा खिडकीकी चौखटपर , मेरी कलाई की घडी मे फसी तुम्हारे कुर्तेके कुछ रेशमी धागों जैसी। मेरे कंधेपे सर रखकर अपनी उँगलिसे मेरे सिनेपे तुमने जो लिखे थे, वो अल्फाज अपने नाजुक हाथोंमें समेटे, देखो वो पल घूम रहे है मेरे इर्दगिर्द। जालीम हवा झोका कुछ बुंदोंको…