Nice short Marathi poem about her captivating beauty
मुख़्तसरसी बात है,
तू जो सूनले तो मैं केह दु।
तेरी होठोंकी लालिसे,
और आँखोंकी गहराईपे,
ना कोई नझ्म लिख दु,
मुख़्तसरसी बात है…
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लागली ग आज पहा, धार पाऊस संतत,
तुला जमेना यायला, हीच मनी आहे खंत…
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My new poem about gorgeous lover drenched in the showers of Shravan; the 5th month of Hindu calendar.
धुँवाधार बारिश है ये, थमने का कुछ नाम नही, पहाडोसे बिछड़नेपर, शायद फुटके रो रही। हम तुम भी तो बिछड़े है, महीनोसे ना मिल पाए, इन
कल रातकी बारिश कुछ बूंदे छोड गयी है, वहा खिडकीकी चौखटपर , मेरी कलाई की घडी मे फसी तुम्हारे कुर्तेके कुछ रेशमी धागों जैसी। मेरे
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