
हा, मै मिला हूं उससे,
बिल्कुल आप जैसा सोच रहे है वैसा ही था।
पूरा पागल,
अपने ही धुन में खोया हुआ।
पहली बार जब उससे मुलाक़ात हुई तो मै तो सेहम सा गया था।
शायद तुम होते तो तुम भी यही कहते।
बिखरे लंबे बाल, ये बड़ी दाढ़ी। कोई बूढ़ा पागल नहीं था। बदन पूरा कसरती था। उम्र, वही कुछ ३० या ३५ के करीब। बदन पे एक मैला कुर्ता और कंधे पे एक झोला लिए वो चल पड़ता था।
पर एक अजीब सा अपनापन भी मेहसुस होता है जब मैं सोचता हुं उस के बारें में।
उसे प्यार था उन पेड़ों से, जानवरों से, नदी से, पहाड़ से। उस हर एक चीज से जिसमें उसे प्रकृति की छबि नजर आती थी।
उन की देखभाल में खाना पीना सब भूल जाता था। उसका एक सपना था, कभी जिंदगी में खुदका एक जंगल होगा। जहा एक तालाब के किनारे किसी पेड़ पर एक ट्री हाउस बना के वो उसमे रहे।
पर काफी दिन हो गए उससे मुलाकात नहीं हुई। उसके रोज के ठिकानों पे भी आज कल वो कही दिखाई नही देता। गायब होने से पहले उसने बताया था के वो किसी नई कोयले के खदान के बारे में सुन कर कितना परेशान है। कभी मिले तो उसे जरूर बताउंगा की घर का एसी अब अच्छा चल रहा है। शुक्र है, नया कोल पावर प्लांट शुरू हो गया है।
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