क्यू खो गये हो
क्यू खो गये हो तुम अपनेही खयालोमे,
तुम ना रहो गुमसुम इस हसीन शाममे ।।
देखो सारी वादी धुंदला रही है,
असमापर ये घटा छा रही है,
मेहकती हवा भी अब चल रही है,
क्यू न भरलो तुम इसे सांसमे ।।
ये पंछीभी गुनगुना रहे है,
शाखोंपे पत्ते डोलने लगे है,
सारी दुनिया मे एक ताल है,
चल मिलाए कदम उसी तालमे।।