कविता June 29, 2017June 29, 2017 बारीश और तुम #३ धुँवाधार बारिश है ये, थमने का कुछ नाम नही, पहाडोसे बिछड़नेपर, शायद फुटके रो रही। हम तुम भी तो बिछड़े है, महीनोसे ना मिल पाए, इन...
कविता June 26, 2017June 29, 2017 बारीश और तुम #२ कल रातकी बारिश कुछ बूंदे छोड गयी है, वहा खिडकीकी चौखटपर , मेरी कलाई की घडी मे फसी तुम्हारे कुर्तेके कुछ रेशमी धागों जैसी। मेरे...
कविता June 23, 2017June 23, 2017 बारीश और तुम #१ A post shared by aditya (@adisjournal) on Jun 20, 2017 at 2:21am PDT हर पल जब असमान से कुछ बुंदे मेरे उपर गिरती है, दिल...