दोस्त, जो रोज नही मिलता. पर आज याद आ रहा है। A friend, who used to be with me everyday. Today I remember him, life led us on different paths.
हर रोज़ सुबह जब मैं मेरे कमरेकी खिड़की खोलता हूँ,
तो यही एक सवाल हमेशा होता है।
के ये कौन है जो एक आंखसे हमेशा मुझको तांकते है?
हा, मै मिला हूं उससे,
बिल्कुल आप जैसा सोच रहे है वैसा ही था।
पूरा पागल,
अपने ही धुन में खोया हुआ।
लेकीन अब,
अब मुलाकात नहीं होती।
मन आज़ाद है।
भलेही पैरोमें पड़ी है बेड़ी, वास्तविकता की,
फिरभी वह आज़ाद है।
A Hindi poem about an old home which is dilapidated. #poetrylove
हर रोज़ सुबह जब मैं मेरे कमरेकी खिड़की खोलता हूँ,
तो यही एक सवाल हमेशा होता है।
के ये कौन है जो एक आंखसे हमेशा मुझको तांकते है।
मई की भरी दोपहर में, जब चलता हु उन तपती मैली सड़कोपर, मनमे ख़याल आता है, कई हस्तियाँ चली होंगी, उम्र से लम्बी इन सड़कोपर..
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