Adi's Journal

Pieces of my thoughts

भरोसा

उठा है तुफान क्यू सारे दरिया मे,
अकेला झुंजता मै इस कश्तीमे.

कभी कभी उठती है लेहर पहाडसी
गोते लागती है कश्ती उसिमे.

बैठता है वो डर गेहेरा कही दिलमे
फिरभी इक आशा है छुपी उसीमे.

है उसे सहारा उसी इक आस मे
उस इक रबपे भरोसा है दिलमे.


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