खायी है जख्म गहेरी,
भरा नहीं है घाव अभी.
चेहेरेसे नकाब हसिका,
फिरभी नहीं उतरा कभी.
चलते रहे बरसातोमे,
आसुओंको छुपाते हुए.
ना दिखे कभी वो किसीको,
दिलमे यही तमन्ना लिए….
खायी है जख्म गहेरी,
भरा नहीं है घाव अभी.
चेहेरेसे नकाब हसिका,
फिरभी नहीं उतरा कभी.
चलते रहे बरसातोमे,
आसुओंको छुपाते हुए.
ना दिखे कभी वो किसीको,
दिलमे यही तमन्ना लिए….
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