Adi's Journal

Pieces of my thourhgs

आभी जा…..

दूर अब रेहके तू क्यू तडपाये रे,
तुझबिन सुनी मेरी दिन और रैना रे
आंखोमे जमि है असुओंकी धारा रे,
आभी जाओ अब मोरे साजना रे.

चहुघीर आये काले बादल रे
पर मेरे आंगनमे बिरह की धूप रे.
प्यार की बरखाको तरसू मै अब रे
बनके बसंत मेरा जल्दी तू आज रे.

बिरहा अगनमे पलभी नं जलना रे,
बस तेरी बाहोंमे मै समा जानी रे,
ना सताओ काही जान ना जाये रे,
दुरी ये मिटाओ साजना अब ना सहू रे…

Related Posts

One thought on “आभी जा…..

Leave a Reply