राज़

इन आँखोसे कहो न कुछ बयाँ करे,
जो छुपाया है दिलमे वो हसींन राज़ है।

जिस शिद्दत से दिलने संभाला है उसे,
ये होंठ क्यों बयाँ करनेपे अड़े है।

न बनाओ उन्हें इस राज़का हमराज़,
उन्हींसे तो हमने ये राज़ छुपाया है।


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