दोस्त…
![](https://i0.wp.com/adisjournal.com/wp-content/uploads/2024/05/17163709303532102071912873254820-1.jpg?resize=640%2C640&ssl=1)
दोस्त….
आज तुम्हारी बड़ी याद आ रही है।
अब याद भी नहीं की आखरी मिले कितना समय गुजर गया।
पर वो याद आज भी ताजा है,
जब पहली बार हम मिले थे।
वैसे ये कहना झूठ ही होगा की,
उस मुलाकात का हर पहलू मुझे याद है।
लेकिन कुछ बारीकियां दिमाग में जैसे के तैसी बैठी है।
हमारी माताएं दोस्त थी, हमारी दोस्ती होना तो लाजमी था।
लेकिन दोस्ती निभाना हमारा अपना निर्णय।
जिस पर सालों से हम कायम है।
मां की उंगली थामे होती हुई अपनी मुलाकाते
आगे पाठशाला की रह पर चल पड़ी।
हर रोज कॉपी, किताबों में मिली,
धूप में क्रिकेट खेलते ग्राउंड में पकी दोस्ती
और गहरी होती गई।
फिर आया वो मकाम,
जब रोज साथ में चलते रास्ते में एक मोड़ आया।
जिंदगी की रह पर चलने का समय आया।
तुमने अपना रास्ता चुना और मैंने अपना।
मुलाकाते अब रोज नहीं होती।
अब सालाना दशहरा – दिवाली की छुट्टियों में मिलना होता है।
ना, ऐसी बात नही है के मैं बिल्कुल जस्बाती हूं,
और हमेशा पुरानी यादों को लेकर रोता रहता हूं।
पर कभी कभार, कुछ गाने, कोई चित्र, कोई खुशबू,
ले जाती है मुझे अतीत के सफर पर।
आज वैसे ही, तुम्हारी बड़ी याद आ रही है।
जब आज सुबह मैंने देखा,
दो माताएं अपने अपने बच्चों को गोद में उठाए बड़े मजे से बतिया रही थी…
—
आदित्य साठे
२२-०५-२०२४
For my other posts, follow this trail…
Heartfelt!
Thanks brother!
This is lovely!