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आभी जा…..
दूर अब रेहके तू क्यू तडपाये रे,
तुझबिन सुनी मेरी दिन और रैना रे
आंखोमे जमि है असुओंकी धारा रे,
आभी जाओ अब मोरे साजना रे.
चहुघीर आये काले बादल रे
पर मेरे आंगनमे बिरह की धूप रे.
प्यार की बरखाको तरसू मै अब रे
बनके बसंत मेरा जल्दी तू आज रे.
बिरहा अगनमे पलभी नं जलना रे,
बस तेरी बाहोंमे मै समा जानी रे,
ना सताओ काही जान ना जाये रे,
दुरी ये मिटाओ साजना अब ना सहू रे…
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Comments
One response to “आभी जा…..”
best adii.. mastay kavita
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