खायी है जख्म गहेरी, भरा नहीं है घाव अभी. चेहेरेसे नकाब हसिका, फिरभी नहीं उतरा कभी. चलते रहे बरसातोमे, आसुओंको छुपाते हुए. ना दिखे कभी
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खायी है जख्म गहेरी, भरा नहीं है घाव अभी. चेहेरेसे नकाब हसिका, फिरभी नहीं उतरा कभी. चलते रहे बरसातोमे, आसुओंको छुपाते हुए. ना दिखे कभी